मंगल ग्रह की जड़ अयोध्या है | रामायण बाल कांड | रामायण | शैलेंद्र भारती
भक्ति सॉन्ग
वें श्लोक
जब आप मुसीबत में जाते हैं, तो कोई और। जथिन नींद जुड़ी हुई है।
जड़ता जद भीश उर लगा। मैं नहीं गया और तुम्हारे लिए खेद महसूस नहीं किया।
मत जाओ साहब, मजन को ले आओ। फिर से गर्व के साथ।
जौन बहोरी जिसने पूछा तुम आओ। सर इसकी निंदा करते हैं ताही बुझाना।
घोर परेशानी शादी नहीं है। राम सुकृपा बिलोखिन जेही।
तो सादर सर मज्जानु करई। बड़ा भय मत करो।
अरे यार, इस सिर को ताज़ मत करो। जिसका राम चरण अच्छा भाई है।
जो नहीं चाह रहे हैं भाई। तो मैंने सत्संग कर अपना मन लगा लिया।
मैं इसका स्वाद लेना चाहता था। भाई कबी बुद्धि बिमल अवगाही।
भयभीत हृदय आनन्द से भर उठता है। उमगु प्रेम प्रमोद प्रभु।
चली सुभग कबिता सरिता सो. राम बिमल जस जल भरिता सो..
सरजू का नाम सुमंगल मूल है। लोक खराब मत मंजुल कूला।
पुनीत सुमनस नंदिनी नदी। कालीमल का पेड़ तरु मूल निकंदिनी।
दो-दर्शक त्रिबिध समाज पुर ग्राम नगर दुहुन कूल।
संसभा अनुपम अवध सकल सुमंगल मूल....
श्रेय :
गायक - शैलेंद्र भारती
म्यूजिक री - अरेंजर - शैलेंद्र भारती
गीत - पारंपरिक
एल्बम - रामायण, बाल कांडो
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भजन विवरण
भजन का नाम : मंगल ग्रह की जड़ अयोध्या है | रामायण बाल कांड | रामायण | शैलेंद्र भारतीगायक का नाम : सारेगामा-भक्ति
प्रकाशित तिथि : Feb. 16, 2022, 12:08 a.m.