लेखक श्री राम स्तुति - श्री रामचरितमानस - मानस श्रीराम स्तुति - भाग 4 - राम स्तुति
भक्ति सॉन्ग
आध्यात्मिक गतिविधि SAV - _Tr
गायक: प्रेम प्रकाश दुबे ( )
गीत: पारंपरिक
संगीत: प्रेम प्रकाश दुबे
गीत: मानस श्री राम स्तुति -
संगीत लेबल: आध्यात्मिक गतिविधि
डिजिटल पार्टनर: वायनेट मीडिया प्रा। लिमिटेड
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इसके साथ बने रहें:
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#रामस्तुति #रामजी #सोनयांगोचारजासु
गाने के बोल:
जय कृपा चक्र मुकुंद द्वंद हरन सरन सुख परिवार प्रभो।
खल द्वीदारन परम कारन कारुनीक सदा बिभो॥
सुर सुमन बरष व्यक्ति हरष बाजी दुंदभि गहही।
संग्राम अंगन राम अंग अनंग बहु सोभा लही॥॥
भावार्थ:- हे कृपाण के चक्र! हे मोक्षदाता मुकुंद! हे (राग-द्वेष, हर्ष-शोक, जन्म-मृत्यु आदि) डिविओं के हरने! हेराफेरी करने के लिए खुश रहने वाले प्रभामंडल! हे दुश्मन दल हेमा के भी! हे सदा करुणामयी! हे सर्वव्यापक विभो! आपकी जय हो। देवता हर्ष में शामिल हुए थे, घमाघम नगाडाँ डेटेड हैं। रणभूमि में श्री रामचंद्रजी के नेव से कामदेवों की भाति प्राप्त की
सिर जटा कुक्ट प्रसून बिच बिच अति अति सुंदर राजहीं।
जनु गिरी पर तड़ित पात उड्यन भ्राजाहीं॥
भुजदंड सर कोडंड फेरत रुधिर कन तन अति बने।
जनु रिमुनीं तमाल पर बैठक बिपुला सुख आप॥॥
सिंटर पर जटाओं का कुट, भाभा में सुंदर मनोहर पुष्प शो दे रहे हैं। माउंट पर्वत पर स्थित वातावरण बहुत ही सुंदर होते हैं। श्री रामजी अपने भुजदण्डों से बाण और धनु फिर रहे हैं। शरीर पर रुधिर के कण शरीर पर हानिकारक होते हैं। मानो तमाल के जंगल पर सी ललमुनियाँ चिड़ियाँ अपने कमरे में सुखी हैं।
कृपादृष्टि करि बृष्टिप्रभु अभय. सुर वृंद।
भालु कीस सब हरषे जय सुख धाम मुकुंद
भावार्थ:प्रभु श्री रामचंद्रजी ने दृष्टि की दृष्टि से देव समूह को निभय कर दिया। वनर-भालू हर्षित और सुखधाम मुकुंद की जय हो, कन्फ़र्मने लगे
भजन विवरण
भजन का नाम : लेखक श्री राम स्तुति - श्री रामचरितमानस - मानस श्रीराम स्तुति - भाग 4 - राम स्तुतिगायक का नाम : स्पिरिचुअल एक्टिविटी
प्रकाशित तिथि : Feb. 26, 2022, 7:42 a.m.