वेद वेद | रामायण बाल कांड | रामायण | शैलेंद्र भारती
भक्ति सॉन्ग
वें श्लोक:
शम्भू समय ने देखा तेही रमही। अति हाय हरपु बिशेष उत्पन्न हो गया है।
भारी लोचन छबीसिंधु निहारी। कालातीत जीवन के कुछ संकेत।
जय सच्चिदानंद जग पवन। कहीं चले मनोज नसवन के रूप में।
जाओ शिव सती समता। पुनी पुनी पुलकट कृपानिकेता।
सती ने दास शंभु को कब देखा था? आपका जन्म संदिग्ध बिशीशी..
शंकर जगतबंद्य जगदीसा। सूर नर मुनि सब नवत सीसा।
तिन्ह नृपसुति नः परनामा। सच्चिदानंद परधाम कहाँ है?
भाई हैप्पी छबी तसु बिलोकी। अज़हुन प्रीति उर रहती नहीं रुकी।
दो-ब्रह्म जो व्यापक बिराज अकाल अकाल अभी अभिह है।
ताकि शरीर धारी नर जाहि नहीं जानत वेद हो। ,
श्रेय :
गायक - शैलेंद्र भारती
म्यूजिक री - अरेंजर - शैलेंद्र भारती
गीत - पारंपरिक
एल्बम - रामायण, बाल कांडो
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भजन विवरण
भजन का नाम : वेद वेद | रामायण बाल कांड | रामायण | शैलेंद्र भारतीगायक का नाम : सारेगामा-भक्ति
प्रकाशित तिथि : Feb. 15, 2022, 8:42 p.m.